#intjaar
जब मैं जग पड़ता हूं तुम्हारी याद में,
रात में।
मैं फिर ढूढ़ता हूं,
घर का एक सुनसान कोना
या
खड़े हो जाता हूं खिड़की पर।
बस.....
ताकने लगता हूं
सड़क पर पसरे उस सन्नाटे को देर तक
लगातार बिना रुके
जब तक कि सुनसान सड़क उलाहना नहीं देती मुझे
अगले ही क्षण मैं ताकने लगता हूं खुले आसमान को।
ये सोच कर
कि ये सब भी तो इंतजार में है।
किसी-न- किसी के
सड़क मुसाफ़िर की इंतजार में,
आसमान रोशनी की इंतजार में
और
मैं फिर अकेला हो जाता हूं!
तुम्हारे इंतजार में।
©ankahejajbat
©Durga Bangari
@Mukesh Poonia @Brijesh Maurya @ittu Sa
जब मैं जग पड़ता हूं तुम्हारी याद में,
रात में।
मैं फिर ढूढ़ता हूं,
घर का एक सुनसान कोना
या
खड़े हो जाता हूं खिड़की पर।
बस.....