जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी, जो च

"जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम, आज उनकी जय बोल। -रामधारी सिंह दिनकर ©vivek singh"

 जला अस्थियां बारी-बारी,
चटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।
-रामधारी सिंह दिनकर

©vivek singh

जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम, आज उनकी जय बोल। -रामधारी सिंह दिनकर ©vivek singh

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