मैं को मैने...
आंसुओं से मैंने मुझको विदा है किया।
सुखा कर उन्हे जेब में रुमाल सा सजा लिया।
मुस्कुराते हुए मैंने मुझको देख तो लिया,
मैं जान न पाया मैंने मुझे दिल था दिया।
मैं रोया चमकती आंखों से, नूर बना लिया।
मुस्कुराया बुझे अरमानों से, सुख बना लिया।
जल उठी वो धरती, वहां मरुस्थल बना लिया।
कांटों में फूल खिलाए, नदी से पानी बहा लिया।
मैं जाता मुझसे दूर कि सुख से रहना हो लिया।
मुझको दूर करना मुझसे ही उचित बना लिया।
मैं जान न पाया कब मैंने खुद को शत्रु बना लिया।
अजातशत्रु मैने अपना ही प्राण ले लिया।।
मेरी दुनिया उजली करने मैने खुद को जला दिया!!
©Nina
आग