निस्वार्थ भाव से किया गया प्रत्येक कर्म जीवन के सुखद का शव यात्रा का प्रतीक है निर्मल मन और श्रेष्ठ कर्म के बिना कर्तव्य बोध कभी जागृत नहीं होता विकारों का जन्म मन की अशांति तथा नकारात्मकता सोच और गुणात्मक विचारों का कारण होता है बिना कर्म योग और कर्तव्य योग के उदाहरण दिया जागरूकता संभव है हृदय में कर्तव्य कभी संसार में वट वृक्ष की भांति शांति समृद्धि प्रदान करता है जो व्यक्ति कर्तव्य की भावना और श्रेष्ठ कर्म हो द्वारा स्वयं को दूसरों के प्रति समर्पित करता है वह से शुरू होने के साथ ही अपेक्षा सफलता भी अर्जित करता है
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#dhundh निस्वार्थ भाव से किया गया प्रत्येक कर्म हमेशा अच्छा होता है