// ये खामोशियांँ //
दीवारों को चीरती ये खामोशियांँ
कौन सुने इस दिल की सिसकियांँ
टूटा मेरा विश्वास, झूठी लगने लगी
इश्क़ मोहब्बत की सारी कहानियांँ
वादों के तो निशां तक नहीं बचे हैं
ख़्वाब भी तो मेरे बेचैन घूम रहे हैं
तन्हा दिल की गलियों में अब तो
बस ख़ामोशी के दिए जल रहे हैं
एहसास पल-पल हो रहा है ख़त्म
बहती पवन की छुअन लगे सितम
अब तो बस इंतजार इस बात का
अंत हो सफ़र और खत्म हो जन्म।
©Mili Saha
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