मुद्दतों हो गए जिस शख्श से बिछड़े , उससे बिछड़ने की | हिंदी शायरी

"मुद्दतों हो गए जिस शख्श से बिछड़े , उससे बिछड़ने की ये तकलीफ कम क्यों नही होती रब्बा। ©Sarika Pal"

 मुद्दतों हो गए जिस शख्श से बिछड़े , 
उससे बिछड़ने की ये तकलीफ कम क्यों नही होती रब्बा।

©Sarika Pal

मुद्दतों हो गए जिस शख्श से बिछड़े , उससे बिछड़ने की ये तकलीफ कम क्यों नही होती रब्बा। ©Sarika Pal

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