".....ओए सुनो शहजादी....
तुम जो सोचते हो ना कि भूल जाऊंगा मैं तुम्हें,
तो सुनो !!
तुम मुझे जबसे मिले हो तबसे तुम मेरी पहली
और आखिरी ख्वाहिश बन चुके हो,
हालात बेशक बदल गए हैं पर तुम्हें चाहने का
जज़्बात आज भी वही है, जो पहले था.......
हा तुम्हारी कमी भी है तुम्हारा एहसास भी है, पर
तुम मेरी रात का आखिरी ख्वाब और सुबह की
पहली ख्वाहिश भी हो,
तुम मुझसे दूर भी हो और मेरे सबसे पास
भी हो,
तो बताओ कैसे भूल जाऊंगा मैं तुम्हें..!!
©Ak.writer_2.0
"