✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझाई नहीं जाती....✍️ | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझाई नहीं जाती....✍️ गुज़ार देता हूँ बड़े इत्मिनान से तमाम सफ़र को मैं । बस सफ़र-ए-जिन्दगी ही है जो बिताई नहीं जाती । बात तकलीफ़ की नहीं,जो जिन्दगी से मिला है मुझे । अपनों के बीच दर्द-ए-ग़म बस दिखाई नहीँ जाती ।। कौन कम्बख़्त चाहता है हर समय उदास रहने को । बस झूठी मुस्कराहट अब चेहरे पर लायी नहीं जाती ।। साथ छूटता गया उनका जो ख्वाब अपने से लगे थे । अब फ़िर वही सपनों की नगरी सजायी नहीं जाती ।। समझना मुश्क़िल है सुख-दुःख का फ़लसफ़ा क्या है । समझ जाओ भी मग़र औरों को समझाई नहीं जाती ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव"

 ✍️आज की डायरी✍️

        ✍️ समझाई नहीं जाती....✍️

गुज़ार देता हूँ बड़े इत्मिनान से तमाम सफ़र को मैं ।
बस सफ़र-ए-जिन्दगी ही है जो बिताई नहीं  जाती ।

बात तकलीफ़ की नहीं,जो जिन्दगी से मिला है मुझे ।
अपनों के बीच दर्द-ए-ग़म बस दिखाई नहीँ  जाती ।।

कौन कम्बख़्त चाहता है हर समय उदास रहने को ।
बस झूठी मुस्कराहट अब चेहरे पर लायी नहीं जाती ।।

साथ छूटता गया उनका जो ख्वाब अपने से लगे थे ।
अब फ़िर वही सपनों की नगरी सजायी नहीं जाती ।।

समझना मुश्क़िल है सुख-दुःख का फ़लसफ़ा क्या है ।
समझ जाओ भी मग़र औरों को समझाई नहीं जाती ।।

                                   ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझाई नहीं जाती....✍️ गुज़ार देता हूँ बड़े इत्मिनान से तमाम सफ़र को मैं । बस सफ़र-ए-जिन्दगी ही है जो बिताई नहीं जाती । बात तकलीफ़ की नहीं,जो जिन्दगी से मिला है मुझे । अपनों के बीच दर्द-ए-ग़म बस दिखाई नहीँ जाती ।। कौन कम्बख़्त चाहता है हर समय उदास रहने को । बस झूठी मुस्कराहट अब चेहरे पर लायी नहीं जाती ।। साथ छूटता गया उनका जो ख्वाब अपने से लगे थे । अब फ़िर वही सपनों की नगरी सजायी नहीं जाती ।। समझना मुश्क़िल है सुख-दुःख का फ़लसफ़ा क्या है । समझ जाओ भी मग़र औरों को समझाई नहीं जाती ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

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