पता नही जिंदगी में क्या चल रहा है
लेकिन जैसा चल रहा है हमे खल रहा है
उम्मीदों के पहाड़ बन रहे है
ख्वाइशो का पुल बन रहा है
खुद के अतीत को बदलने का मन है
लेकिन किसी अपने के अतीत से मन डर रहा है
कुछ करने कुछ बदलने का जज्बा है दिल में लेकिन
मेरे समय को बदलने में भी इतना समय लग रहा है
हम तरस रहे है किसी के साथ के लिए
कोई हमारे साथ के लिए तरस रहा है
उसकी तकलीफे देखी नही जाती हमसे
हमारा भी उसके साथ रहने का मन कर रहा हैं
to be continued..
©DKJaroriya
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