याद आता है वो बचपन
पापा के साथ मेले में जाना,
भाई का सिर पर बैठना, मेरा ऊँगली पकडना,
हर चीज को देखते ही लेने की जिद करना,
ना मिलने पर पैर पटक कर रो देना,
वो रंग बिरंगी दुकानों की चमक से आँखो का चौधंयाना,
वो उँचे - ऊँचे झूलो की रोशनी में चीजो की जिद को भूल जाना ।
याद आता है वो बचपन
मेले में घूमने की वो खुशी ,
पापा का एक छोटे से खिलौने में टलकाना और
लौटते मेले से गरमागरम जलेबियों का आना
याद आते है पापा, और वो बचपन
मेले को देखते ही l
©kavika Kashyap
#mela