ग़म दर्द से दूर रहोगे ख़ुद को ग़र मशरूफ रखोगे पुरानी | हिंदी शायरी

"ग़म दर्द से दूर रहोगे ख़ुद को ग़र मशरूफ रखोगे पुरानी यादें आएँगी जरूर पर उसकी कमी से और खिलोगे ख़ुद को ग़र मशरूफ़ रखोगे ©दक्ष आर्यन"

 ग़म दर्द से दूर रहोगे
ख़ुद को ग़र मशरूफ रखोगे
पुरानी यादें आएँगी जरूर
पर उसकी कमी से और खिलोगे
ख़ुद को ग़र मशरूफ़ रखोगे

©दक्ष आर्यन

ग़म दर्द से दूर रहोगे ख़ुद को ग़र मशरूफ रखोगे पुरानी यादें आएँगी जरूर पर उसकी कमी से और खिलोगे ख़ुद को ग़र मशरूफ़ रखोगे ©दक्ष आर्यन

#Sands ख़ुद को ग़र मशरूफ़ रखोगे

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