हुस्न पे तंज होता है
बज़्म में संज होता है
जिस गली से तू गुजरे वो
दौलता गंज होता है
बाल नाखून से मत ठेल
कंघी को रंज होता है
इश्क़ को सरकशी मत बोल
बेहुदा तंज होता है
मायने पर्खे फिर दे दाद
वो सुख़न-संज होता है
हुस्न पे तंज होता है
बज़्म में संज होता है
जिस गली से तू गुजरे वो
दौलता गंज होता है
बाल नाखून से मत ठेल
कंघी को रंज होता है