White रचना दिनांक 20,,12,,2024 वार,, शुक्रवार समय | हिंदी मोटिवेशनल

"White रचना दिनांक 20,,12,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ् ््निजविचार ्् स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने, मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,, जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में, ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।। शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है , सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च, मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।। लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,, शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है , जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।। जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,, यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।। जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि, सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।। मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में, खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,, सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत, प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।। वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,, उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand"

 White रचना दिनांक 20,,12,,2024
वार,, शुक्रवार
समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ्
                       ्शीर्षक ्
    ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ्
           ््निजविचार ््
स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने,
 मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं 
आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,,
जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में,
 ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।।
शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है ,
सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च,
मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।।
लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,,
शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है ,
जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।।
जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,,
यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है
 भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।।
जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि,
सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।।
मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में,
 खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,,
 सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत,
 प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।।
वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,,
उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई 
सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7।
                 कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand

White रचना दिनांक 20,,12,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ् ््निजविचार ्् स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने, मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,, जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में, ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।। शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है , सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च, मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।। लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,, शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है , जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।। जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,, यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।। जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि, सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।। मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में, खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,, सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत, प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।। वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,, उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand

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कवि शैलेंद्र आनंद

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