हर किसी के लिए दुआएं जो उठा रहे हैं हाथ,
मेरे दिल के अंधेरे, उन्हीं राहों पे साए हैं।
तुम वो हो, जो खुदा से उम्मीदें नहीं लगाते,
हम वो हैं, जिनकी ख्वाहिशें दर- दर साए हैं।
जो शोहरत के पीछे दौड़े, उन्हीं के ख्वाब टूटे,
हमारी खामोशियों में वो राज़ छुपाए हैं।
ये दुनिया बस रंगीन है, मगर हम खामोश हैं,
हमारे अंदर वो रंग, खामोशियाँ पंख लगाए हैं।
©नवनीत ठाकुर
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