आईने की सूरत भी बदलने लगी है,
कि तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।
जब देखते हैं खुद को आईने में,
खुद का चेहरा ही ढूंढते आईने में,
आईने में अक्स कुछ दिखता तो है,
पर वह पहले की सूरत भी खोने लगी है।
कि तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।
जमाने की थापें पड़ी इतनी गहरी हैं,
कि परतों में परतें जमती गई हैं,
छुपाते रहे हैं जो सबसे अब तक,
वह परत आईने में अब दिखने लगी है
तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।
©Dr Shaline Saxenaa
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