सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,, तुम्हें, तुम्हारी | हिंदी कविता

"सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,, तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,, चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,, खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,, आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,, तो उसका एहसास लिखा है,,, मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,, तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,, फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,, फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,, प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,, दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,, तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,, हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,, मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,, तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,, आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,, तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,, इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,, की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,, फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,, ©Faiz Khan"

 सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,,
तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,,
चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,,
खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,,
आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,,
तो उसका एहसास लिखा है,,,
मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,,
तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,,
फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,,
फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,,
प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,,
दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,,
तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,,
हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,,
मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,,
तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,,
आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,,
तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,,
इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,,
की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,,
फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,,

©Faiz Khan

सुनो फिज़ा,,,मैने कुछ लिखा है,,, तुम्हें, तुम्हारी अदा को लिखा हैं,,, चंचल, खिलखिलाती फिज़ा को,,, खुशरांग फिज़ा मैने लिखा है,,, आवाज़ तुम्हारी लिख नहीं सकता,,, तो उसका एहसास लिखा है,,, मैंने कुछ बेहतर लिखने की कोशिश में,,, तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को शब्दों में पिरोया है,,, फिर जाकर मैंने प्यारा सा साथ अपना लिखा हैं,,, फिज़ा इस बार सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा है,,, प्यार नही लिखा,,, अटूट दोस्ती लिखी है,,, दोस्ती वाले प्यार की मैने शायरी लिखी है,,, तुझसे मिलाने के लिए खुदा को शुक्र लिखा है,,, हम साथ रहे उम्र भर ये दुआ मैने दिन रात लिखी है,,, मायूसी मिटा कर खुशियां लिखी है,,, तेरे लबों के लिए फिज़ा मैने मुस्कुराहट नई लिखी है,,, आसुओं को तेरे मै मेरी आंखो से बहा दूंगा,,, तेरी पलकों पर मैं खुशियां अपनी लिख दूंगा,,, इस कदर लिखूंगा हतेली पर तेरे लकीरें कामयाबी की,,, की गम मिटा कर वो खुदा तेरे तकदीर में सिर्फ खुशियां लिखेगा,,, फिज़ा सुनो तो सही मैने मेरा दिल तुम्हारे लिए लिखा है,,, ©Faiz Khan

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