यहां पुरुष स्त्री को और स्त्री पुरुष को खोज रहे है..ईश्वर की कोई खोज नहीं..खोज भी रहे तो वो पहली खोज से पीछे है, ईश्वर प्रायोरिटी नहीं है, स्त्री-पुरूष एक दूसरे के लिए प्रायोरिटी हैं...एक दूसरे को भोगना पहली प्राथमिकता है, ईश्वर है, नहीं है, कल्पना है, लफ्फाजी है, आत्मसम्मोह है,पता नहीं क्या है,फिर भी लगे पड़े हैं...
पुरुष तो स्विकार करता है कि वो स्त्री को खोज रहा है,पर स्त्री पुरुष को खोजकर भी डिनायल मोड में है कि वो नहीं खोज रही..उसको फर्क नहीं पडता उसकी पोस्चरिंग ऐसी है, आना है तो आओ न आना तो कोई फर्क नहीं पड़ता, पर फर्क उसको बहुत भयानक पड़ता हो अगर कोई न आए तो ...
पर पुरुष की स्त्री की खोज स्त्री तक पहुंच रही ओटो मोड में, इसलिए स्त्री खोजकर भी नहीं खोज रही है.. खोजने वाले को वही पहुंचना है वो जानती है.. भीतर तो वो अस्त व्यस्त हैं पर बाहर की पोजिशनिंग ऐसी है कि ..आना ही पड़ेगा सजना ज़ालिम है दिल की लगी..
स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे से उबकर ईश्वर को खोज रहे हैं..एक दूसरे को भोग-भोगकर , लड़-मरकर आखिर में हांथ कुछ न लगता प्रतित होता तो ईश्वर की खोज शुरू होती है..
ईश्वर की खोज का रहस्य दोनों की अपूर्णता में ही है..
तो झुम बराबर झुम दिवाने
©Andy Mann
#खोज @Rakesh Srivastava @Ashutosh Mishra @Neel अदनासा- Dr. uvsays