White सुनो कुछ कहना है तुमसे समझ जाओगी क्या
तुम एकबार फ़िर से पहले जैसी हो जाओगी क्या
फ़िर से उन्हीं रास्तों पर मेरे संग चल पाओगी क्या
वो जो तुम्हारा नीला कुर्ता है उसे पहन आओगी क्या
ठंडी शामों में उस कुल्हड़ वाली चाय पे मिल जाओगी क्या
सीढ़ियों से उतरते फ़िरसे मेरा हाथ थाम पाओगी क्या
सर्दी की किसी शाम मुझे फ़िर से घुमाने ले जाओगी क्या
फ़िर से एकबार बालों में मुझसे गजरा लगवाओगी क्या
फ़िरसे एक कुर्ता पसंद आया है घर भिजवाओगी क्या
सर्दी का कमरख बुला रहा है संग खाने आओगी क्या
भूल के दुनियांदारी को मेरा इश्क़ समझ पाओगी क्या
कमल अधूरा सा हो गया है उसे पूरा करने आओगी क्या
©Kamal Kant
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