हृदय हो वृन्दावन मेरा,जहां कान्हा ने लीला रची हैं। | हिंदी Bhakti

"हृदय हो वृन्दावन मेरा,जहां कान्हा ने लीला रची हैं। गोकुल में इक छोटा सा घर हो,जहां पली वृषभानु लली हैं। जीवन बिताऊं उन कुंजन में,जहां बांके बिहारी विराजें। मांगू न जीवन में सुख कोई,मुझको सिर्फ किशोरी भली हैं। ©Dr Nutan Sharma Naval"

 हृदय हो वृन्दावन मेरा,जहां कान्हा ने लीला रची हैं।

गोकुल में इक छोटा सा घर हो,जहां पली वृषभानु लली हैं।

जीवन बिताऊं उन कुंजन में,जहां बांके बिहारी विराजें।

मांगू न जीवन में सुख कोई,मुझको सिर्फ किशोरी भली हैं।

©Dr Nutan Sharma Naval

हृदय हो वृन्दावन मेरा,जहां कान्हा ने लीला रची हैं। गोकुल में इक छोटा सा घर हो,जहां पली वृषभानु लली हैं। जीवन बिताऊं उन कुंजन में,जहां बांके बिहारी विराजें। मांगू न जीवन में सुख कोई,मुझको सिर्फ किशोरी भली हैं। ©Dr Nutan Sharma Naval

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