White मैं अब कितना थक सा गया हूँ शायद बहुत दूर मं | हिंदी कविता

"White मैं अब कितना थक सा गया हूँ शायद बहुत दूर मंजिल से कही रुक सा गया हूँ माँ पापा के साथ रहना चाहता हूँ उनके लिए बहुत कुछ करना चाहता हूँ भाई बहन से भी मिलना चाहता हूँ बीवी बच्चों के साथ कही गुम हो गया हूँ ना ढंग से कमा पा रहा हूँ और ना ढंग से निभा पा रहा हूँ जिंदगी को यूही कही भटकते हुए जिए जा रहा हूँ क्या गलत है और क्या सही है इस सवाल मैं ही उलझें जा रहा हूँ ©Ash Jain"

 White मैं अब कितना थक सा गया हूँ 
शायद बहुत दूर मंजिल से कही रुक सा गया हूँ 
माँ पापा के साथ रहना चाहता हूँ 
उनके लिए बहुत कुछ करना चाहता हूँ 
भाई बहन से भी मिलना चाहता हूँ 
बीवी बच्चों के साथ कही गुम हो गया हूँ 
ना ढंग से कमा पा रहा हूँ और ना ढंग से निभा पा रहा हूँ 
जिंदगी को यूही कही भटकते हुए जिए जा रहा हूँ  
क्या गलत है और क्या सही है 
इस सवाल मैं ही उलझें जा रहा हूँ

©Ash Jain

White मैं अब कितना थक सा गया हूँ शायद बहुत दूर मंजिल से कही रुक सा गया हूँ माँ पापा के साथ रहना चाहता हूँ उनके लिए बहुत कुछ करना चाहता हूँ भाई बहन से भी मिलना चाहता हूँ बीवी बच्चों के साथ कही गुम हो गया हूँ ना ढंग से कमा पा रहा हूँ और ना ढंग से निभा पा रहा हूँ जिंदगी को यूही कही भटकते हुए जिए जा रहा हूँ क्या गलत है और क्या सही है इस सवाल मैं ही उलझें जा रहा हूँ ©Ash Jain

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