White सूरज की ये ज़िद नही,
ढलना इनकी फितरत है।
माना कि चाहत है दिल में,
अब दिल में उतरने की हसरत है।
आईने को देख रोज़ संवरने वाले,
अदाओं को जलवागर न कर महफूज़ रखो,
महबूब ऐ आबरु है तू पर्दानशीं कर,
लगे न नज़र तेरी आँखों को सनम मेरे हमदम,
दुनिया आजकल हुस्न की तास्सुब बनी है,
रखो ख्याल अपना ज़माना कितनी वहशत है।
©Mohd Kamruzzama
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