White बारिश की बूंदे
कितनी ख्वाहिश थी,
बारिश की बूंदों को,
आसमान से गिरकर,
जमीन में दफ्न होने की।
वो जो ऊंचाइयों में,
बादलों की गोद में थीं,
हर एक लम्हा सोचती थीं,
धरती की मिट्टी से मिलने को।
चमकते सूरज के डर से,
बादलों में छुपती रहीं,
पर दिल में हसरत थी,
जमीन की आगोश में समाने की।
फिर एक दिन बादलों ने भेजा
उन्हें धरती को तोहफा बनाकर,
जीवन को सींचने,
और प्यास बुझाने।
गिरती रहीं,झूमकर, नाचकर,
हर पत्ती, हर शाख से लिपटकर,
मिट्टी की खुशबू में,
अपने अस्तित्व को मिटाने।
दफ्न होकर मिट्टी में,
वो बूंदें मुस्कुराईं,
कि उनकी ख्वाहिश ने,
जीवन को एक नई कहानी सुनाई।
ख्वाहिशें भी ऐसे ही,
अधूरी नहीं रहतीं,
आसमान से गिरकर,
ज़मीन पर मुकम्मल होती हैं।
राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री
©Writer Mamta Ambedkar
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