एक शहर है मेरे आर - पर
करीब की गहराई को नापा तो
अस्सी कोस सुज गया
दूरी देखी तो चेहरे पर निशान
उभर आए
अब ठौर क्रोध से कपता है
पर भेद नही खुलता
रात रोज आती है
और हर रात अगले को खा जाती है
पर ये शहर नही मरता
मरे भी कैसे
इसने
मुझ जैसों को अपने अधर पर
सुला के रूह तक को खिचा लिया है
चाँदनी🌙
©चाँदनी
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