Unsplash अगर गुज़ारिश हो मेरी मंजूर हमारे साथ चलो | हिंदी Poetry

"Unsplash अगर गुज़ारिश हो मेरी मंजूर हमारे साथ चलो । बिना किसी रिश्ते के तुम कुछ दूर हमारे साथ चलो । जितना है मजबूर हमारा साया हमदम होने को, उतने ही तुम भी होकर मजबूर हमारे साथ चलो । एक खुले आकाश सी कोई मुझसे प्रीति निभा देना, छोड़ के दुनिया के सारे दस्तूर हमारे साथ चलो । ज्यूं चांद अमावस में आकर पूरनमासी कर देता है, अंधेरी राहों में बन कर यूं नूर हमारे साथ चलो । नीरज निश्चल ©Lakhnavi shayar 2.O"

 Unsplash अगर गुज़ारिश हो मेरी मंजूर हमारे साथ चलो ।
बिना किसी रिश्ते के तुम कुछ दूर हमारे साथ चलो ।

जितना है मजबूर हमारा साया हमदम होने को,
उतने ही तुम भी होकर मजबूर हमारे साथ चलो ।

एक खुले आकाश सी कोई मुझसे प्रीति निभा देना,
छोड़ के दुनिया के सारे दस्तूर हमारे साथ चलो ।

ज्यूं चांद अमावस में आकर पूरनमासी कर देता है,
अंधेरी राहों में बन कर यूं नूर हमारे साथ चलो ।

नीरज निश्चल

©Lakhnavi shayar 2.O

Unsplash अगर गुज़ारिश हो मेरी मंजूर हमारे साथ चलो । बिना किसी रिश्ते के तुम कुछ दूर हमारे साथ चलो । जितना है मजबूर हमारा साया हमदम होने को, उतने ही तुम भी होकर मजबूर हमारे साथ चलो । एक खुले आकाश सी कोई मुझसे प्रीति निभा देना, छोड़ के दुनिया के सारे दस्तूर हमारे साथ चलो । ज्यूं चांद अमावस में आकर पूरनमासी कर देता है, अंधेरी राहों में बन कर यूं नूर हमारे साथ चलो । नीरज निश्चल ©Lakhnavi shayar 2.O

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