बचपन बचपन था हमारा सीधा सा सादा सा, याद है वो अब भ | हिंदी Poetry

"बचपन बचपन था हमारा सीधा सा सादा सा, याद है वो अब भी कुछ थोड़ा कुछ ज़्यादा सा। याद है जब चाहते थी बस बड़ें होने की, लेकिन अब ख्वाइशे जगी है फिर से बचपन को पाने की। सोचा था जब बड़े होंगे आसमान छुएंगे हम, क्या पता था उस मिट्टी में फिर से खेलना चाहेंगे हम। वो बचपन की शरारतें, मुस्कुराहट बनी है आज की। वो बचपन के खेल खिलौने, चाहतें बनी फिर दोबारा आज की। ज़िंदगी के अलग अलग दौर है, लेकिन बचपन सा ना कोई है, चाहें कितने ही बड़े क्यों न हो जाओ, पर बचपन की मासूमियत अभी भी न कही खोई है। ©Tabassum Salmani(TS)❤️"

 बचपन
बचपन था हमारा सीधा सा सादा सा,
याद है वो अब भी कुछ थोड़ा कुछ ज़्यादा सा।
याद है जब चाहते थी बस बड़ें होने की,
लेकिन अब ख्वाइशे जगी है फिर से बचपन को पाने की।
सोचा था जब बड़े होंगे आसमान छुएंगे हम,
क्या पता था उस मिट्टी में फिर से खेलना चाहेंगे हम।
वो बचपन की शरारतें,
मुस्कुराहट बनी है आज की।
वो बचपन के खेल खिलौने,
चाहतें बनी फिर दोबारा आज की।
ज़िंदगी के अलग अलग दौर है,
लेकिन बचपन सा ना कोई है,
चाहें कितने ही बड़े क्यों न हो जाओ,
पर बचपन की मासूमियत अभी भी न कही खोई है।

©Tabassum Salmani(TS)❤️

बचपन बचपन था हमारा सीधा सा सादा सा, याद है वो अब भी कुछ थोड़ा कुछ ज़्यादा सा। याद है जब चाहते थी बस बड़ें होने की, लेकिन अब ख्वाइशे जगी है फिर से बचपन को पाने की। सोचा था जब बड़े होंगे आसमान छुएंगे हम, क्या पता था उस मिट्टी में फिर से खेलना चाहेंगे हम। वो बचपन की शरारतें, मुस्कुराहट बनी है आज की। वो बचपन के खेल खिलौने, चाहतें बनी फिर दोबारा आज की। ज़िंदगी के अलग अलग दौर है, लेकिन बचपन सा ना कोई है, चाहें कितने ही बड़े क्यों न हो जाओ, पर बचपन की मासूमियत अभी भी न कही खोई है। ©Tabassum Salmani(TS)❤️

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