्रचना दिनांक ्,21,,6,,,2023
वार बुधवार
समय पांच बजकर तीस मिनट ््
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््शीर्षक ््
्््ईश्वर और धर्म, प्रार्थना और स्वार्थ,,भाव और भावना,कोप और पश्चाताप, जैसे भाषा पर सवाल उठाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है्््
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अच्छा विचार ,अच्छे कथन , सच्चाई से अवगत करवाकर ईश्वर ने भक्ति रस श्रद्धा और प्यार का अकीदा, सजदा जीवन के फूलों से भी सूक्ष्म महीन सोच पर अपने खूदा पर यकीनन विश्वास ही ईश्वरीय परिदृष्य का वरदान ही संस्कार है
जो मांगने से नहीं कर्म से मिलता है।
जिसके लिए सजदा, इबादत, में प्रेम शब्द में पूर्णमासी पूनम, नमाज,नव पाचं वक्त पल की वो सौगात है।।
उसके मायने उसके बैगर कंहकहां गमजदा है।
क्योंकि हमने धड़कनों से हमने पाला जतलाया नहीं हमने कोई एहसान किया नहीं,ये मिट्टी के दर्द से जन्मा विचार सच में बहुत सुंदर है।
क्योंकि धड़कनों में बसा वसंत प्रेम शब्द से
अबोध बालक मस्त होकर गजराज के भांति निखरकर सामने आता है।
लेकिन उसकी प्रकृति सुझबुझ गजराज सी है।
हर पल अनमोल विचार सच में दूर्लभ है।
ईश्वर समय के साथ सद्बुद्धि भी देता है।
लेकिन सूखद परिणाम कुल आनंद गुणित सवाल खड़े कर जिंदगी में आंखें डालकर इजहार करने वाले अच्छे से इबादत करते हुए जीवन सफल बनाएं।।। ईन्शा अल्लाह फिर मिलेंगे दूआओ मैं याद रखना आमीन ्््
््कवि शैलेंद्र आनंद
21,,,6,,,2023,,
©Shailendra Anand
#BEACH_SIDE