द्रौपदी चीरहरण और मणिपुर चीर हरण
धृतराष्ट्र की महासभा ......
विराजमान सभी विद्वान , ज्ञानी , ऋषि , महाऋषि चुप चाप लज्जा से भरे ,
शांति पूर्वक द्रौपदी के चीरहरण को निहार रहे थे......
द्रौपदी के सवालों का उत्तर न ही गंगापुत्र भीष्म के पास था न ही ,
द्रोणाचार्य के पास और न ही कृपाचार्य के पास......
सबसे ज़्यादा मूक इस सभा का अंधा राजा धृतराष्ट्र था ,
जिसका सम्पूर्ण योगदान द्रौपदी के चीरहरण में था ....
अंधे धृतराष्ट्र के कहने पे सभा भंग भी हो सकती थी और चीरहरण होने से रुक भी सकता था...द्रौपदी चीरहरण की जिम्मेदार धृतराष्ट्र की पूरी सभा थी जो पाप होता देख
मुकता धारण किए हुए थी....
विदुर सिर्फ़ चीख रहे थे और अंधे राजा से रोकने की मांग कर रहे थे
मगर अंधे राजा ने पुत्रमोह में सब होने दिया ......
बाद में महाभारत के युद्ध में वो सभी लोग मारे गए जो द्रोपदी चीर हरण पे चुप थे....
यही कहानी अब के हिंदुस्तान में भी दोहराई जा रही है.... देश के माननीय प्रधानमंत्री और
धृतराष्ट्र में तनिक भी अंतर नहीं है .... वो भी अंधे और मुक थे ये भी मानसिक अंधे और मूक हैं.....
इनकी सभा के सभी मंत्री मूक धारण किए मणिपुर में होने वाले हर चीर हरण को देख रहे हैं ......
और यहां पे भी हर द्रौपदी मदद की गुहार नरेंद्र मोदी नामक धृतराष्ट्र से मांग रही है....
और ये चुप चाप दिखावटी लज्जा के साथ इसमें भी सियासत कर रहे हैं.....
इसमें विदुर का कार्य माननीय मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूर्ण कर रहे हैं.....
कभी कभी तो ये डर लगता है कि सरकारें हिंदुस्तान में जिस तरह से महिलाओं की
यौन शौषण की संखाएं बढ़ रही है और पूरा देश तमाशाइयों की तरह चुप है....
ऐसे में कभी कभी ये डर लगता है कि कहीं अगर हिंदुस्तान में ऐसे ही होता रहा तो
एक रोज़ सरकारें बलात्कार को कहीं जायज़ न ठहरा दें और
फ़िर हिंदुस्तान में लोग बलात्कार दिवस मनाने लग जाएं ......
आने वाले समय में जब कोई इतिहासकार हिंदुस्तान का इतिहास लिखेगा तो
उसमें ये ज़रूर लिखेगा .
... कि हिंदुस्तान कल्पनाओं और अखबारों की सुर्खियों में ही सिर्फ़ महान था ......
वास्तव में हिंदुस्तान एक बुजदिल लोगों का बुजदिल मुल्क था.....
जहां पर सब तमाशाई थे .....
.राजा भी और प्रजा भी......
: राजन सिंह 🥺🥺
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©Thakur Rajan Singh
#Manipur...