नींदों का बोझ पलकों में उठाया नहीं जाता और वो दिल | हिंदी लव

"नींदों का बोझ पलकों में उठाया नहीं जाता और वो दिल को लगा रहे है गम उठाने के खातिर बागबा निगेहबान है सारे गुलिस्तां का और वो फुल को तकते है जुड़े में लगाने खातिर ©KaviRaj bhatapara"

 नींदों का बोझ पलकों में उठाया नहीं जाता
और वो दिल को लगा रहे है गम उठाने के खातिर
बागबा निगेहबान है सारे गुलिस्तां का
और वो फुल को तकते है जुड़े में लगाने खातिर

©KaviRaj bhatapara

नींदों का बोझ पलकों में उठाया नहीं जाता और वो दिल को लगा रहे है गम उठाने के खातिर बागबा निगेहबान है सारे गुलिस्तां का और वो फुल को तकते है जुड़े में लगाने खातिर ©KaviRaj bhatapara

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