"ऐ चाँद.....
तुझे तो खुद पर गुमान होगा
रूप का तुझे अभिमान होगा
बेदाग बादशाह जो है तू
तेरा अमर ये स्वाभिमान होगा...
मगर तेरी इस बादशाहीयत से जलन होती है मुझे
तन्हा ये ज़िन्दगी कसक बनाती है मुझे
क्या ही कहूँ मैं अपनी मजबूरियों के बारे मे
पल पल तेरी ओर देख रुलाती है मुझे।
©Priya Singh
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