"l खुदा से पुछना है l
खुदा से पुछना है इनके गुनाहों की सज़ा क्या है
कम्बख़्त कोई तो बताये दरिंदों की रज़ा क्या है l
ज़नाब फ़ख़्र क्यों दौलत का शोर-शराबा है अभी
कोई बताये जऱा मुझे दौलतमंद की वफ़ा क्या है l
ज़ुल्म की ज़ुल्मत में आखिर कब तलक रहेंगे
खुदा से पुछना है इस ज़ुल्म की सज़ा क्या है l
ताउम्र अकेलेपन में मैं आईने से बातें करता रहूँ
खुदा ने वो शख्स़ बनाया नहीं मेरी ख़ता क्या है l
------ अभिषेक तन्हा"