अपनी जैसी ही किसी शक्ल में ढालेंगे तुम्हें हम बिगड | हिंदी Poetry

"अपनी जैसी ही किसी शक्ल में ढालेंगे तुम्हें हम बिगड़ जाएँगे इतना की बना लेंगे तुम्हें,, जाने क्या कुछ हो छुपा तुम में मोहब्बत के सिवा हम तसल्ली के लिए फिर से खगालेंगे तुम्हें,, हम ने सोचा है कि इस बार जुनूँ करते हुए ख़ुद को इस तरह से खो देंगे कि पा लेंगे तुम्हें,, मुझ में पैवस्त हो तुम यूँ कि ज़माने वाले मेरी मिट्टी से मेरे बाद निकालेंगे तुम्हें,, -अभिषेक शुक्ला ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ"

 अपनी जैसी ही किसी शक्ल में ढालेंगे
तुम्हें हम बिगड़ जाएँगे इतना की बना लेंगे तुम्हें,,

जाने क्या कुछ हो छुपा तुम में मोहब्बत के सिवा
हम तसल्ली के लिए फिर से खगालेंगे तुम्हें,,

  हम ने सोचा है कि इस बार जुनूँ करते हुए
  ख़ुद को इस तरह से खो देंगे कि पा लेंगे तुम्हें,,

      मुझ में पैवस्त हो तुम यूँ कि ज़माने वाले
       मेरी मिट्टी से मेरे बाद निकालेंगे तुम्हें,,

                         -अभिषेक शुक्ला

©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ

अपनी जैसी ही किसी शक्ल में ढालेंगे तुम्हें हम बिगड़ जाएँगे इतना की बना लेंगे तुम्हें,, जाने क्या कुछ हो छुपा तुम में मोहब्बत के सिवा हम तसल्ली के लिए फिर से खगालेंगे तुम्हें,, हम ने सोचा है कि इस बार जुनूँ करते हुए ख़ुद को इस तरह से खो देंगे कि पा लेंगे तुम्हें,, मुझ में पैवस्त हो तुम यूँ कि ज़माने वाले मेरी मिट्टी से मेरे बाद निकालेंगे तुम्हें,, -अभिषेक शुक्ला ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ

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