तलाश तो मौत की थी मगर जिंदगी पास आ गई,
तमन्ना थी कि पत्थर बना लें दिल को मगर दिल– लगी कि आस आ गई|
और ये रंग, रूप, अदाएं सब हुस्न के सौदागरों को मुबारक .........
हम ठहरे आशिक मिजाज, हमे तो तेरी नजाकत और सादगी रास आ गई ||
©' मुसाफ़िर '
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