शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
* शाम का नजारा:
धूप छिपी, छाया फैली,
चिड़ियों की चहचहाट थमी।
आकाश रंग बदलता,
शाम आई, मन को भाती।
* संध्या का समय:
आज का दिन हुआ समाप्त,
तारे निकले, चाँद आया।
हवा चलती, शीतल लगती,
मन शांत, आनंद भरा।
* शाम की यादें:
बचपन की शामें याद आतीं,
दोस्तों संग खेलते थे।
खेतों में दौड़ते फिरते,
खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍
©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
* शाम का नजारा:
धूप छिपी, छाया फैली,
चिड़ियों की चहचहाट थमी।
आकाश रंग बदलता,
शाम आई, मन को भाती।
* संध्या का समय: