चांद को पाकर वसुंधरा मुस्कुराई है, धरा की गोद में | हिंदी कविता

"चांद को पाकर वसुंधरा मुस्कुराई है, धरा की गोद में जैसे चमक समाई है। सितारों ने थमकर ये नज़ारा देखा, प्रेम की भाषा में सृष्टि ने बात बनाई है। ©Balwant Mehta"

 चांद को पाकर वसुंधरा मुस्कुराई है,
धरा की गोद में जैसे चमक समाई है।
सितारों ने थमकर ये नज़ारा देखा,
प्रेम की भाषा में सृष्टि ने बात बनाई है।

©Balwant Mehta

चांद को पाकर वसुंधरा मुस्कुराई है, धरा की गोद में जैसे चमक समाई है। सितारों ने थमकर ये नज़ारा देखा, प्रेम की भाषा में सृष्टि ने बात बनाई है। ©Balwant Mehta

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