बदल जाते है लोग वक़्त की तरह, जैसे बदलता है शासन तख | हिंदी कविता
"बदल जाते है लोग वक़्त की तरह, जैसे बदलता है शासन तख्त की तरह
कहते लोग कड़वे बोल न सोचते जरा
विशवास मे भी विष का वाश है भरा
सच्चा कोई है नही नसों के रक्त की तरह
किस्से बोलू किस्से कह दू हृदय की ज़रा"
बदल जाते है लोग वक़्त की तरह, जैसे बदलता है शासन तख्त की तरह
कहते लोग कड़वे बोल न सोचते जरा
विशवास मे भी विष का वाश है भरा
सच्चा कोई है नही नसों के रक्त की तरह
किस्से बोलू किस्से कह दू हृदय की ज़रा