White गुलशन का पुराना माली आज न जाने कई संत बन | हिंदी Poetry

"White गुलशन का पुराना माली आज न जाने कई संत बन कर घुम रहा हैँ लगता हैँ झरती हुई फूल की पंखुडियो को गिरता देख उसके भीतर भी कहीं वैराग जाग न गया हो ©Parasram Arora"

 White गुलशन का पुराना 
माली  आज न जाने 
कई संत बन कर घुम रहा हैँ 

लगता हैँ झरती हुई 
फूल की पंखुडियो 
 को 
गिरता देख उसके 
भीतर भी कहीं 
वैराग  जाग न गया हो

©Parasram Arora

White गुलशन का पुराना माली आज न जाने कई संत बन कर घुम रहा हैँ लगता हैँ झरती हुई फूल की पंखुडियो को गिरता देख उसके भीतर भी कहीं वैराग जाग न गया हो ©Parasram Arora

माली या संत

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