मासूम सा मन घायल हैं इक रोज़, मर ही जाएगा अब किसी | हिंदी शायरी

"मासूम सा मन घायल हैं इक रोज़, मर ही जाएगा अब किसी बात की कोई फ़िक़र नहीं मुझ को ज़ख्म ही तो हैं कुछ रोज में भर जाएगा...!! ©ashita pandey बेबाक़"

 मासूम सा मन
घायल हैं 
इक रोज़,
मर ही जाएगा
अब किसी बात की
कोई फ़िक़र नहीं 
मुझ को
ज़ख्म ही तो हैं 
कुछ रोज में
भर जाएगा...!!

©ashita pandey  बेबाक़

मासूम सा मन घायल हैं इक रोज़, मर ही जाएगा अब किसी बात की कोई फ़िक़र नहीं मुझ को ज़ख्म ही तो हैं कुछ रोज में भर जाएगा...!! ©ashita pandey बेबाक़

#sad_qoute 'दर्द भरी शायरी' शायरी हिंदी में शेरो शायरी

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