स्वाभिमान
स्वाभिमान होता है अच्छा
उत्तम करे चरित्र
मगर कभी यह शत्रु है बनता
कभी बने यह मित्र
कभी खड़ा हो जाता तनकर
जब रिश्तों के बीच
नहीं पनप सकतें है उनको
कितना ही लें सींच
आँखों में आँसू थम जाते
लगता प्रेम पर पहरा
बनती कई सरहदें उर में
स्वाभिमान यदि ठहरा
बेखुद पछताता है मन पर
यह आड़े आ जाता
कभी नहीं समझौता करना
सबको यही सिखाता
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#स्वाभिमान