ऐ ज्ञान तेरे रूप अनेक
बुद्धिजीवी में तूने तर्क क्षमता का रूप है पाया
पराक्रमी में तूने उसका साहस बन, बड़े बड़ो को धूल चटाया
अहंकारी में तूने उसका अहंकार बन, उसको उसके अहम के आगे कुछ ना दिखलाया
कलाकार को तूने हर इक चीज में, उसकी प्रेरणा बन हर दम राह दिखाया
अज्ञानी को तूने जीवन भर उसकी मुश्किल बन समझाया
और भी ना जाने कितने रूपों में तूने, दुनिया को हर बार है एक नया पाठ पढ़ाया
जिसने जैसी नियत बना कर तुझको अपनाया, वैसा ही उसने तेरा रूप है पाया
©Priya's poetry life
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