ज़रूरी नहीं... की कोशिश करते रहने से आख़िरकार तुम जी | हिंदी Poetry

"ज़रूरी नहीं... की कोशिश करते रहने से आख़िरकार तुम जीत ही जाओगे। पर हार का तुम्हे गम भी नहीं होगा.... ये तय है। ज़रूरी नहीं.... दिल की बातें कह देने से, मसले सारे हल हो ही जाएँगे। पर कोई टीस या अफ़सोस ज़हन में फ़िर बाकी नहीं रह जाएगा.... ये तय है। ज़रूरी नहीं.... हर किसी को तुम अपना नज़रिया समझा पाओगे। वक़्त-बेवक़्त शायद तुम, खुद ही खुद को समझ नहीं पाओगे। पर यक़ीन सिरहाने रख कर ख्वाब बुनोगे, तो इन ख्वाबों को पँख लग ही जाएँगे.... ये तय है। ©Dr Jyotirmayee Patel"

 ज़रूरी नहीं...
की कोशिश करते रहने से
आख़िरकार तुम जीत ही जाओगे।
पर हार का तुम्हे
गम भी नहीं होगा....
ये तय है।

ज़रूरी नहीं....
दिल की बातें कह देने से,
मसले सारे हल हो ही जाएँगे।
पर कोई टीस या अफ़सोस
ज़हन में फ़िर बाकी नहीं रह जाएगा....
ये तय है।

ज़रूरी नहीं....
हर किसी को
तुम अपना नज़रिया समझा पाओगे।
वक़्त-बेवक़्त शायद तुम,
खुद ही खुद को समझ नहीं पाओगे।
पर यक़ीन सिरहाने रख कर
ख्वाब बुनोगे,
तो इन ख्वाबों को पँख
लग ही जाएँगे....
ये तय है।

©Dr Jyotirmayee Patel

ज़रूरी नहीं... की कोशिश करते रहने से आख़िरकार तुम जीत ही जाओगे। पर हार का तुम्हे गम भी नहीं होगा.... ये तय है। ज़रूरी नहीं.... दिल की बातें कह देने से, मसले सारे हल हो ही जाएँगे। पर कोई टीस या अफ़सोस ज़हन में फ़िर बाकी नहीं रह जाएगा.... ये तय है। ज़रूरी नहीं.... हर किसी को तुम अपना नज़रिया समझा पाओगे। वक़्त-बेवक़्त शायद तुम, खुद ही खुद को समझ नहीं पाओगे। पर यक़ीन सिरहाने रख कर ख्वाब बुनोगे, तो इन ख्वाबों को पँख लग ही जाएँगे.... ये तय है। ©Dr Jyotirmayee Patel

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