White
*वृक्ष कभी इस बात पर"*
*व्यथित नहीं होता कि*
* उसने कितने पुष्प खो दिए*
*वह सदैव नए फूलों के*
*सृजन में व्यस्त रहता है*
*जीवन में कितना कुछ*
*खो गया, इस पीड़ा को"*
*भूल कर, क्या नया*
*कर सकते हैं,*
*इसी में जीवन की सार्थकता है।*
©Divyanshu
Shayari morning
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