"कुछ तुम को भी है अज़ीज़ अपने सभी उसूल,
कुछ हम भी इत्तफाक से ज़िद के मरीज़ है
ना जाने क्यूँ कुछ कमी सी लगती है....
तुम हो.....मैं हूँ.....लेकिन फिर हम क्यूँ नही है
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं,
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं...
©shayri walla
"