सफर लम्बा है, पर कदम रुकते नहीं, दर्द के साये में | हिंदी शायरी

"सफर लम्बा है, पर कदम रुकते नहीं, दर्द के साये में हौसले झुकते नहीं। जो तू था कभी मेरी राहों का नूर, अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर। हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है, पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है। आसमान चुप है, सितारे बेगाने हैं, दुआ के हर जवाब में फासले पुराने हैं। दिल के जुनून को आखिर कौन हराएगा? सूरज छुपा सही, पर फिर से आएगा। मंज़िलें मेरी, चाहे तू साथ न हो, ये सफर मेरा है, इंतज़ार तेरा हो न हो। ©नवनीत ठाकुर"

 सफर लम्बा है, पर कदम रुकते नहीं,
दर्द के साये में हौसले झुकते नहीं।

 जो तू था कभी मेरी राहों का नूर,
अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर।

हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है,
पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है।

आसमान चुप है, सितारे बेगाने हैं,
 दुआ के हर जवाब में फासले पुराने हैं।

दिल के जुनून को आखिर कौन हराएगा?
सूरज छुपा सही, पर फिर से आएगा।

मंज़िलें मेरी, चाहे तू साथ न हो,
ये सफर मेरा है, इंतज़ार तेरा हो न हो।

©नवनीत ठाकुर

सफर लम्बा है, पर कदम रुकते नहीं, दर्द के साये में हौसले झुकते नहीं। जो तू था कभी मेरी राहों का नूर, अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर। हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है, पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है। आसमान चुप है, सितारे बेगाने हैं, दुआ के हर जवाब में फासले पुराने हैं। दिल के जुनून को आखिर कौन हराएगा? सूरज छुपा सही, पर फिर से आएगा। मंज़िलें मेरी, चाहे तू साथ न हो, ये सफर मेरा है, इंतज़ार तेरा हो न हो। ©नवनीत ठाकुर

#जो तू था कभी मेरी राहों का नूर,
अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर।

हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है,
पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है।

दिल के जुनून को आखिर कौन हराएगा?
सूरज छुपा सही, पर फिर से आएगा।

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