जो आंखों से समझ लो उस खामोशी की वजह
तो फिर क्या बात हो....
कोई हो परेशान तो लगा लो उसे दिल से
तो फिर बात क्या हो..
लड़खड़ाती ज़ुबान को जो दे दो तुम हौसला
तो फिर बात क्या हो..
तुम कोई पहले नहीं हो इस जहां मे इतना समझ जाओ तो
फिर क्या बात हो...
ज़हन में उलझे सवालों में खोए रहते हो..
कभी बिन जाने भी मुस्कुराओ
तो फिर क्या बात हो..
ज़रा सी बात से बिगाड लेते हो ताल्लुक अपने
जो तुम छोड़ दो सही गलत एम फर्क करना
तो फिर क्या बात हो..
क्यू हो यूं परेशान ये ज़िंदगी की कश्मश से..
जितना मिला उसके शुक्रगुजार रहो
तो फिर क्या बात हो..
शिरीन अहमद
©Shireen Ahmed
#bicycleride