ख्वाब आँखों में अश्रु बन ढले शायद खून हाथो | हिंदी कविता

"ख्वाब आँखों में अश्रु बन ढले शायद खून हाथों में लगे तब रचे शायद मेरी तमन्नाओं का तर्पण कर गया कोई जैसे हम मिटे तुमपे कोई अब मरे शायद ©Neeraj Neer"

 ख्वाब   आँखों  में  अश्रु  बन ढले शायद
खून    हाथों   में  लगे   तब  रचे   शायद
मेरी  तमन्नाओं  का तर्पण कर गया कोई
जैसे हम मिटे तुमपे कोई अब मरे शायद

©Neeraj Neer

ख्वाब आँखों में अश्रु बन ढले शायद खून हाथों में लगे तब रचे शायद मेरी तमन्नाओं का तर्पण कर गया कोई जैसे हम मिटे तुमपे कोई अब मरे शायद ©Neeraj Neer

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