वक्त की मार बहुत बुरी होती है और इंसान का सबर ही इस घाव को भर सकता है लास्ट प्रयास था ये मेरा जो अब सबर में बदल गया अब जिंगदी के दर्द को एक नई दिशा देकर खामोशी के साथ धीरे धीरे अपने घाव को कम करते हुए आगे बढ़ना है हर लड़ाई को बेजुबान बनकर लड़ना है अपनी जुबान को खामोशी में बदलना हैं आगे क्या होगा पीछे क्या हुआ सब देखकर मुस्कराते हुए आगे बढ़ना है हर उस चीज को हासिल करना है जो एक स्त्री की सोभा उसका मान सम्मान बढ़ाती है अपना मकान नहीं घर भी बनाना है वक्त के साथ एक नई दिशा में चलना है कांटो से भरा हुआ ये रास्ता वक्त के साथ खामोशी और सब्र करके पार करना हैं जो बीत गया उसे भूल जा बस बीते हुए कल से सिख लेकर आगे बढ़ वो होसियार समझता हैं खुद को पर तुझसे ज्यादा नहीं है विफल होगा वो अपने हर प्रयास में क्योंकि उसने एक अच्छी लड़की के जीवन को कलंकित किया।।
©shivani Dhiman
#samay