बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तु | हिंदी Shayari

"बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता लेकिन हाँ.... मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था जिसकी छाँव में तुम अपने जीवन की हर तपिश से मुक्त हो सकते थे अफ़सोस , तुम समझ न सके !! 🩶✨ ©s गोल्डी"

 बेशक मैं -
तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं 
जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता

लेकिन हाँ....
मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था 
जिसकी छाँव में तुम अपने जीवन की हर तपिश से मुक्त हो सकते थे 
अफ़सोस , तुम समझ न सके !! 
🩶✨

©s गोल्डी

बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता लेकिन हाँ.... मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था जिसकी छाँव में तुम अपने जीवन की हर तपिश से मुक्त हो सकते थे अफ़सोस , तुम समझ न सके !! 🩶✨ ©s गोल्डी

बेशक मैं -
तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं
जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता

लेकिन हाँ....
मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था
जिसकी छाँव में तुम अपने जीवन की हर तपिश से मुक्त हो सकते थे
अफ़सोस , तुम समझ न सके !! 🩶✨

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