दो अल्फाज कहता हूं मंज़ूर करना मेरे तकदीर के क़लम | हिंदी Shayari

"दो अल्फाज कहता हूं मंज़ूर करना मेरे तकदीर के क़लम की गल्ती को दूर करना, मेरे हाथों की नमी तो बुझने वाली है मेरे संग दो पल बैठकर तस्सव्वुर जरुर करना। - राजीव रंजन मिश्र"

 दो अल्फाज कहता हूं मंज़ूर करना
मेरे तकदीर के क़लम की गल्ती को दूर करना,
मेरे हाथों की नमी तो बुझने वाली है
मेरे संग दो पल बैठकर तस्सव्वुर जरुर करना।
                      - राजीव रंजन मिश्र

दो अल्फाज कहता हूं मंज़ूर करना मेरे तकदीर के क़लम की गल्ती को दूर करना, मेरे हाथों की नमी तो बुझने वाली है मेरे संग दो पल बैठकर तस्सव्वुर जरुर करना। - राजीव रंजन मिश्र

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