मन की केतली भरी हुई है रोमांच की आंच से उतरी हुई ह | हिंदी विचार

"मन की केतली भरी हुई है रोमांच की आंच से उतरी हुई है न सुबह का उबाल न शाम की खुशबु ज़िन्दगी में एक अजीब सी दोपहरी हुई है । -अजय"

 मन की केतली भरी हुई है
रोमांच की आंच से उतरी हुई है
न सुबह का उबाल न शाम की खुशबु
ज़िन्दगी में एक अजीब सी दोपहरी हुई है ।
                -अजय

मन की केतली भरी हुई है रोमांच की आंच से उतरी हुई है न सुबह का उबाल न शाम की खुशबु ज़िन्दगी में एक अजीब सी दोपहरी हुई है । -अजय

man ki ketli #selfthought

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