"हबाब सी है ये ज़िन्दगी यूं ज़ाया ना कर
ना कर नफ़रत किसी से
ना गुमान में रह चंद सिक्कों के
या छोटे से टुकड़े ज़मीं के
मोहब्बत बांट दुनियां में
सुख दुख आनी जानी चीज़ हैं
वक्त ज़ाया ना कर अपना
ना ज़ाया कर आंखों के मोती
किसी के जाने की कमी में
©Dr Supreet Singh"